कर्मों का चक्र: जैसा करोगे, वैसा भरोगे!

Author: Gayatri Lohit | Published On: April 6, 2025

हमारे द्वारा किए गए कर्मों में इतनी अधिक शक्ति होती है कि वे हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ते। जन्म, परिवार, रिश्तेदार—यह सब हमारे पिछले कर्मों पर निर्भर करता है। हम जिन लोगों से इस जन्म में मिलते हैं, वे वही होते हैं जिनसे हमारा किसी न किसी जन्म में कोई न कोई संबंध रहा होता है। आइए, इस सच्चाई को समझने के लिए एक प्रेरणादायक कहानी सुनते हैं।

कर्मों का चक्र: जैसा करोगे, वैसा भरोगे!

कर्मों का फल: रोहित और सूरजमल की कहानी

किसी कस्बे में रोहित नाम का एक अनाथ बच्चा रहता था। उसके माता-पिता बचपन में ही चल बसे थे। ननिहाल और पितृ पक्ष से भी कोई सहारा न होने के कारण उसे अनाथालय भेज दिया गया।

रोहित पढ़ने में तेज था और अपनी मेहनत से उसने आर्मी में अधिकारी की नौकरी पा ली। घर-परिवार तो था नहीं, शादी भी नहीं की, और कैंटीन में खाने-पीने से उसका खर्चा भी नाममात्र था। उसने अपनी पूरी तनख्वाह बचाकर बैंक में जमा कर दी।

सेठ सूरजमल, जो आर्मी कैंटीन में सामान सप्लाई करता था, रोहित से जान-पहचान बढ़ाने लगा। जब उसे पता चला कि रोहित के बैंक खाते में अच्छी रकम जमा है, तो उसने रोहित को अपने व्यापार में पैसा लगाने के लिए मनाया। रोहित ने पहले मना किया, लेकिन सूरजमल की मीठी बातों में आकर उसने अपनी सारी बचत उसे दे दी। सेठ का व्यापार रोहित के धन से खूब बढ़ा, लेकिन आमदनी बढ़ते ही उसकी नीयत बदल गई। उसने रोहित को पैसा लौटाने से इनकार कर दिया।

कर्मों का खेल: युद्ध और पुनर्जन्म

इसी बीच, पड़ोसी देश के साथ युद्ध छिड़ गया और रोहित को मोर्चे पर जाना पड़ा। उसे एक बिगड़ैल घोड़ी मिली, जो उसे काबू में नहीं आ रही थी। आखिरकार, घोड़ी दौड़ते-दौड़ते दुश्मन के खेमे में जाकर रुकी, और रोहित दुश्मनों की गोलियों का शिकार हो गया।

उधर सेठ सूरजमल को जब यह खबर मिली, तो उसने खुशी में मिठाई बांटी क्योंकि अब उसे रोहित का पैसा लौटाने की जरूरत नहीं थी। उसका व्यापार दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की करता गया। कुछ वर्षों बाद, उसकी पत्नी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया—अमर।

अमर बड़ा हुआ, व्यापार में हाथ बंटाने लगा, और विवाह भी हो गया। लेकिन फिर अचानक एक दिन वह बेहोश होकर गिर पड़ा। डॉक्टरों ने बताया कि उसे ब्रेन ट्यूमर है। सेठ ने इलाज के लिए सारा धन खर्च कर दिया, विदेश तक ले गया, लेकिन अमर की हालत बिगड़ती चली गई। व्यापार ठप हो गया, कर्ज बढ़ता गया, और अंततः अमर की मृत्यु हो गई।

संत की सीख

संतों की एक सभा में सेठ सूरजमल अपनी व्यथा लेकर पहुंचा। रोते हुए उसने पूछा, “ईश्वर ने मेरे साथ इतना अन्याय क्यों किया?”

संत ने उत्तर दिया, “ईश्वर ने कुछ नहीं किया, यह तुम्हारे कर्मों का फल है। तुम्हें याद है, जब तुमने रोहित के धन को हड़प लिया था? तुम्हें उसकी मृत्यु की खबर सुनकर कितनी खुशी हुई थी? रोहित का हिसाब पूरा करने के लिए वह तुम्हारा पुत्र बनकर लौटा और अंततः तुम्हें भिखारी बनाकर चला गया।”

सेठ यह सुनकर सन्न रह गया। उसने कांपते हुए पूछा, “लेकिन मेरी बहू का क्या दोष था? उसे विधवा क्यों होना पड़ा?”

संत मुस्कुराए और बोले, “वह वही घोड़ी है, जिसने रोहित को मौत के मुंह में धकेला था। इस जन्म में उसे अपने कर्मों का फल मिला। जीवन में कोई भी घटना बिना कारण नहीं घटती। जो कर्म आप करते हैं, उनका फल आपको भोगना ही पड़ता है। प्रकृति हर कर्म का हिसाब रखती है।”

कहानी से सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि जो कुछ भी हम करते हैं—चाहे किसी को खुशी दें, पैसा दें या दुख पहुंचाएं—वह कर्म हमारे पास लौटकर आता है। यदि इस जन्म में कोई रिश्ता हमें दुख दे रहा है, तो संभव है कि हमने पिछले जन्म में उसे कष्ट पहुंचाया हो।

इसलिए, हमें अपने कर्मों को ध्यानपूर्वक करना चाहिए, ताकि हमें भविष्य में पछताना न पड़े।

अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो, तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें और इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। धन्यवाद! जय माता दी!

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Author: Gayatri Lohit
A simple girl from Ilkal, where threads weave tales of timeless beauty (Ilkal Sarees). I embark on journeys both inward and across distant horizons. My spirit finds solace in the embrace of nature's symphony, while the essence of spirituality guides my path.

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